यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 जून 2021

सुबह-सुबह में गाती चिड़िया


 

 

सुबह-सुबह में गाती चिड़िया ख़ूब निखरती है।

धीरे - धीरे दबे कदम से भोर पसरती है

झुर झुर इठलाती सी डोलती हवा चली आये

सूरज की किरणें हँसती हैं, धूप बिखरती हैं


जीवन मुस्का देता जब जब सुबहें आती हैं

सूरज की लाली में कलियां गुनगुनाती हैं

सिमसिम सी माटी थोड़ी दुलराने है लगती

सुबह फुदक कर चूँ चूँ जब गौरैया गाती हैं


ओस की बूदें जब फूलों का तन मन चूमें हैं

ग्राम देवता भोर से ही खेतों में घूमें हैं

सुबह की किलकारी जग को हौले से जगाए जब

हवा के संग संग खेत की सारी फसलें झूमें हैं


भोर के आते ही सबकी गिरहस्ती चल पड़ती

चूल्हों में भी धीरे - धीरे आग है तब जलती

चहल-पहल से आपा-धापी को जीवन बढ़ता

सुबह से चलकर शाम को थककर धूप है जब ढलती

 

 

पवन तिवारी

सम्वाद – 7718080978

13/07/2020

 

 

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