ज़िन्दगी में अचानक
जो  आने लगे
सोचना तुम ज़रा हैं
वे कितने  सगे 
अपनापन हैं जताते
तुम्हें  हर घड़ी
वक़्त आने पे वे सबसे
 पहले भागे
वैसे संबंध  बहुतों  से
 हो  जाते हैं 
जुड़ना चाहो बहुत लोग
जुड़ जाते हैं 
किन्तु संबंधों का
अर्थ  तब होता है 
जब  निभाते  हुए  दूर
तक जाते हैं 
सांत्वना  अर्थ  से
भी बड़ी होती है 
वक़्त पर हौले से जब खड़ी
होती है
स्नेह का  मोल कोई लगा न सका 
रिश्ते की सबसे
प्यारी कड़ी होती है 
रिश्ते कम अच्छे हों
तो भी चल जाता है
व्यर्थ का लम्बा
रिश्ता भी खल जाता है 
जितना हो  उसको  मन
से निभाते रहो 
सारा  अवरोध  धीरे
 से  टल  जाता
है
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
१७/६/२०२० 
     
 
 
