यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 24 मई 2021

भोर जो आकर खिड़की खोली

भोर जो आकर खिड़की खोली

सुबह ने फिर दरवाज़ा खोला

सारे पक्षी सोच रहे थे

पर पहले आ कागा बोला

 

सूरज की आहट पाते ही

अलसाया जग लगा डोलने

किरणों से जब भेंट हुई तो

सुमन पंखुड़ी लगे खोलने

 

पत्ता-पत्ता गीला करके

ओस की बूँदें लगी पसरने

घर से निकल के सारा ही जग

अपने काम से लगा बिखरने

 

अल्प समय में ही जग भर में

हँस कर सूरज लगा टहलने

यूँ सूरज को हंसते देखकर

बिटिया का मन लगा बहलने

 

बाऊ जी हमें सूरज चाहिए

कहकर बेटा लगा पुलकने

उसकी भोली बातें सुनकर

सारे लोग लगे हँसने

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१५/६/२०२० अलाउद्दीनपुर

 

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