यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 25 मई 2021

ज़िन्दगी में अचानक

ज़िन्दगी में अचानक जो  आने लगे

सोचना तुम ज़रा हैं वे कितने  सगे

अपनापन हैं जताते तुम्हें  हर घड़ी

वक़्त आने पे वे सबसे  पहले भागे

 

वैसे संबंध  बहुतों  से  हो  जाते हैं

जुड़ना चाहो बहुत लोग जुड़ जाते हैं

किन्तु संबंधों का अर्थ  तब होता है

जब  निभाते  हुए  दूर तक जाते हैं

 

सांत्वना  अर्थ  से भी बड़ी होती है

वक़्त पर हौले से जब खड़ी होती है

स्नेह का  मोल कोई लगा न सका

रिश्ते की सबसे प्यारी कड़ी होती है

 

रिश्ते कम अच्छे हों तो भी चल जाता है

व्यर्थ का लम्बा रिश्ता भी खल जाता है

जितना हो  उसको  मन से निभाते रहो

सारा  अवरोध  धीरे  से  टल  जाता है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१७/६/२०२०

     

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