यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 14 मई 2020

कविता का बीज


आज सबसे महत्वपूर्ण है कविता
क्योंकि सबसे खतरे में है कविता
क्योंकि कविता के नाम पर
सबसे अधिक षडयंत्र
रच रहे हैं शब्द !
जिनसे वह लेती है जन्म,
वही उसके अपने
अबसे अधिक महत्वपूर्ण और
सबसे अधिक शक्तिशाली
सबसे अधिक नैतिक और
सबसे अच्छे को ही सबसे अधिक
खतरा होता है और
कविता में है वह सब !
इसलिए कविता के बहुत से
बहुरूपिये भी बढ़ते जा रहे हैं किन्तु
कविता में कविता से
अधिक महत्वपूर्ण हैं गीत !
वह शब्दों के बिना भी स्मृतियों में
जीवन की संस्कृति व संगीत के साथ
ह्रदय और कंठ में
रह सकता है हजारों वर्षों तक
उसकी ह्त्या है सबसे कठिन
उसके हैं अनेक स्वरुप
विवाह के गीत, पूजा के गीत
उत्सव के गीत, जन्म के गीत
और दुःख के गीत परन्तु
उनमें भी सबसे अलग श्रम के गीत
जो पसीने के साथ सुर, लय
और ताल मिलाते हैं.
सबसे अधिक खतरे में है.
कविता को बचाना है तो
बचाना होगा गीत को, क्योंकि
कविता का बीज है गीत .

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८  

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