यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 13 मई 2020

फिर से प्यार


मैं फिर से प्यार करूँगा जी
मैं प्यार बिना  मर जाऊँगा
आव़ाज भी  धँसती जाती है
मैं प्यार  बिना क्या गाऊँगा

मैंने तो  सच्चा  प्रेम  किया
किस बात से फिर पछ्ताऊँगा
मैं प्रेम पथिक  विश्वास मुझे
मैं प्रेम को फिर  से  पाऊँगा

उसने मुझे छोड़ दिया तो क्या
सुन प्रेम  मैं  मिलने  आऊँगा
मेरी   झोली  में  प्रेम  सुमन
मैं   उसे    चढ़ाने   लाऊँगा

कुछ करें घृणा तो  करते रहें
अपनी  नज़रों  को  भाऊंगा
तुझसे  मिलने    प्रेम मेरे
अंतिम  साँसों  तक  धाऊंगा

जग छोड़े मुझे तो छोड़ ही दे
मैं प्रेम को  प्रति पल चाहूँगा
असफल प्रेमी  ही होते अमर
मर के भी  अमरता  पाऊँगा  

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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