यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 14 मई 2020

है दोस्त पर दुश्मनी का ये रुख है


है दोस्त पर दुश्मनी का ये रुख है
मेरे आंसुओं पर खड़ा तेरा सुख है
जो मेरा रहा  ना  तेरा होगा कैसे
समझ ना सका खेल बस इसका दुःख है

फरेबों  ने  भी  दोस्ती  को है मारा
सब कुछ रहा कल तलक जो हमारा
गलत  फहमियाँ  उसने  ऐसे पिरोई
अलग हो गया सब  हमारा  तुम्हारा

जवानी की चाहत भी होती है अंधी
इसकी हवस होती है सबसे  गन्दी
करें राम जी होश आ जाए हमको
चालाकियाँ सारी  हो  जाएँ  नंगी

कहने से पहले जो  सोचा करोगे
अपनों पे  अपना भरोसा  करोगे
बिगड़ती हुई बात बन जायेगी ही
आपस में  मन को परोसा करोगे

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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