यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 1 मार्च 2020

आलोचना


आज एक तरफ निंदा है.
एक  तरफ  प्रशंसा  है.
और कोने में पड़ी चुप्पी है.
सत्य को बोल तो दुर्लभ हैं !
हाँ, आलोचना को खोज रहा हूँ.
साहित्य और जीवन में,
दोनों जगह !
अरे हाँ, किसी को मिले
तो बताना जरुर !


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें