प्रेम जीवन का सबसे
बड़ा पर्व है
अपने प्रेम पे सबको बड़ा गर्व है
प्रेम को प्रेम से
प्रेम समझा है जो
प्रेम उसके लिए गर्व का पर्व है
प्रेम शाश्वत है चलता रहे अनवरत
इसमें केवल समर्पण ही जीता सतत
इसका बैरी सतत तर्क और बल रहा
राधा से मेरा तक
प्रेम का सत ही सत
प्रेम है देवता प्रेम
है
प्रेमिका
जो न समझें उनके लिए
विभीषिका
प्रेम के रूप वैसे सहस्त्रों रहे
प्रेमियों के लिए पावन दीपिका
प्रेम हर युग में
पूजित तिरस्कृत हुआ
जाने कितने ही
ग्रन्थों में रचित हुआ
आदमी जाने –
अनजाने संयोग वश
प्रेम की शक्ति
से आकर्षित हुआ
पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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