यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 11 सितंबर 2019

वही इक सबकी


वही इक सबकी जो भली  होगी
माँ तो सबकी ही जिन्दगी होगी

अकेली माँ है प्रसव की  सोचो
खुशी में दर्द  बस सही  होगी

तुम्हारे पास ज्यादा जिन्दगी है
भेज दो थोड़ी  सी  खुशी होगी

प्यार जब भी मिला तुम्हें होगा
जिन्दगी – जिन्दगी  रही होगी

जो कि खुद से हुआ मुकम्मल है
बात उसकी तो फिर  खरी होगी

गैरों के गम भी जिनके अपने हैं
राह  उनकी  हरी – भरी   होगी



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें