तेरे दिल में मैं
आना चाहता हूँ
कि आकर घर बनाना
चाहता हूँ
बहक जायेगी सुन के
बात मेरी
तेरे नखरे उठाना
चाहता हूँ
तेरा गर साथ मिल जाए
अदा से
इश्क खुद को सिखाना
चाहता हूँ
तेरे जैसी नहीं बस
तू मिले गर
मोहब्बत से निभाना चाहता
हूँ
मेरी राहों में हैं
कमसिन बहुत पर
तेरा होना दिवाना
चाहता हूँ
हवस होती तो तुझपे
क्या था मरना
कि मन का प्यार पाना
चाहता हूँ
कि मैं भी प्यार के
काबिल पवन हूँ
फ़क़त ख़ुद को दिखाना चाहता
हूँ
पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक - पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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