तुझे दिया क्या दे
सकता हूँ
यही भाव हिय में रखता हूँ
पाने सा कुछ भाव नहीं था
तेरे चिन्तन में
जगता हूँ
राम कृष्ण का देश
है तू
जन-मन परिचय भेष है तू
आदि संस्कृति का तू वाहक
जन का गौरव आवेश है तू
तू सदा रहा
तू सदा रहे
तुझ पर मिटने की अदा
रहे
तू ज़िंदाबाद सदा ही
था
हर काल तू यूँ डटा
रहे
हमें गर्व सदा तुझ
पर भारत
आराध्य है तू तुझमें
सब रत
तू ही प्र थम तू ही अंतिम
तू ही है
सबसे प्यारा ख़त
तुझको प्रिय बहुत
तिरंगा है
हमरा अभिमान तिरंगा
है
सबके मस्तक का शिखर
पुरुष
जन-जन की शान तिरंगा
है
पवन तिवारी
सम्वाद- ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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