यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 22 अगस्त 2019

भारत


तुझे दिया क्या दे सकता हूँ
यही भाव हिय में  रखता हूँ
पाने  सा कुछ भाव नहीं था
तेरे  चिन्तन  में  जगता हूँ

राम  कृष्ण  का  देश है तू
जन-मन  परिचय भेष है तू
आदि संस्कृति का  तू वाहक
जन का गौरव आवेश  है तू

तू  सदा  रहा तू  सदा रहे
तुझ पर मिटने की अदा रहे
तू  ज़िंदाबाद  सदा  ही था
हर  काल  तू  यूँ  डटा रहे

हमें गर्व सदा तुझ पर भारत
आराध्य है तू तुझमें सब रत
तू  ही प्र थम तू  ही अंतिम
तू  ही  है सबसे  प्यारा ख़त

तुझको प्रिय बहुत तिरंगा है
हमरा  अभिमान  तिरंगा है
सबके मस्तक का शिखर पुरुष
जन-जन की शान तिरंगा है

पवन तिवारी
सम्वाद- ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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