आगे – पीछे ही सबकी बारी है
आज उसकी तो कल
तुम्हारी है
प्यार में सब्र नहीं होता उसे
रात भी अपनी बहुत
भारी है
कितने ज़ख़्मी फ़कत
इशारों से
आँख कहते जिसे
कटारी है
उसकी कटती हैं चैन
से रातें
रकीबों ने तो बस गुज़ारी है
प्यार में हम ही जले
लगता है
मगर वहां भी बेकरारी
है
किसी के रहम से मरना
अच्छा
ज़िन्दगी वो फ़क़त उधारी है
भला करना कोई एहशान
नहीं
आदमी की ये
जिम्मेदारी है
सब पे भारी जो पवन रिश्ता
है
दोस्ती प्यार से
भी प्यारी है
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें