सफलता के दयार जब
बढ़ते हैं
जलने के दैयार भी
बढ़ते हैं
जिनसे न रहा कभी कोई
वास्ता
ऐसे भी कुछ लोग आप
से कुढ़ते हैं
जब आप आगे-आगे चल
रहे होते हैं
पीछे से कुछ यूं ही
फब्तियां कस रहे होते हैं
जब आप गढ़ रहे होते
हैं नये प्रतिमान
वे आप के प्रतिमान
के बोझ से दब रहे होते हैं
जिस समय आप के
प्रशंसक बढ़ रहे होते हैं
इनके आत्मविश्वास
बेसाख्ता ढह रहे होते हैं
कई बार जिनके आप नाम
भी नहीं सुने रहते
ऐसे भी कुछ आप के
नाम से जल रहे होते हैं
जब आप उनके बहकावे
में बहक जाते नहीं हैं
उनके भड़काने पर
अनायास भड़क जाते नहीं हैं
जब आप उनके लाख
उसकाने पर नहीं उसकते
तब आप उनके सीने पर अंजाने
ही मूँग दलते हैं
आप जीत रहे होते हैं
वे मायूस हो रहे होते हैं
आप का सिर्फ जिक्र
आने पर बिदक रहे होते हैं
उखड़ जाते हैं महफ़िल
में आप की तारीफ़ सुनकर
ऐसे लोग बस डाह से थोड़ा
- थोड़ा मर रहे होते हैं
जब आप की फ़क्त चर्चा
से असहज स्थित हो
उनकी रुकावट ही आप
के विकास की परिस्थिति हो
तब अपनी प्रशंसा सुनकर
जरा भी इतराइये मत
बस अपनी प्रतिभा से ही
आप की सहज उपस्थिति हो
तब आप बाहर से दिखिए
शांत और
हो जाइए अंदर से
प्रसन्न
पूरी शक्ति से लग
जाइए लक्ष्य की तरफ
क्योंकि तब निश्चित
हो जाता है आप रचने वाले हैं इतिहास
तो बढ़िए नहीं दौड़िए,
आप ऊँचे शिखर पर नाम लिखने वाले हैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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