कहते हैं बराबर तो बराबर ही समझा जाए
औरत को औरत सामान न समझा जाए
बड़े ख़जाने अमीरों ने
सभी लूटे हैं
गरीब को फ़कत बेईमान न समझा जाए
बहुत से कसमों – वादों
पर लुटी हैं प्रेमिकाएं
फ़क़त कसमों को ईमान
न समझा जाए
बहुत कुछ है
मगर सब कुछ नहीं पैसा
फ़कत दौलत है भगवान न समझा जाए
दोस्ती में निभाये साथ
को बस दोस्ती समझें
ग़लतफ़हमी न हो, एहसान
न समझा जाए
बहुत मजबूर होके भी
हँसे कई बार हैं “पवन”
हर मुस्कान को मुस्कान न समझा जाए
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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