यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 25 दिसंबर 2016

जय जय जय शिव डमरू वाले







जग कल्याणक,हे सुखकर्ता
सुर,नर,मुनि सबके दुःखहर्ता
शिव अनंत,शिव कथा अनंता 
शशिशेखर,शम्भू भगवंता

जय जय जय शिव डमरू वाले 


भगीरथ के भाग्य जगाए 
जिसे देख खुद काल डेराए
पापों को हर,हर कहलाये 
विष पी नीलकंठ कहलाये

जय जय जय शिव डमरू वाले


परशुहस्त,मृगपाणी हे
त्रिलोकेश,कामारी हे 
मृत्युंजय,त्रिपुरारी हे 
प्रथमाधिप,गिरिधन्वा हे

जय जय जय शिव डमरू वाले 


महिमा नाम अनंत तुम्हारे
हम आये हैं द्वार तिहारे 
दीन-दुखी के तुम रखवारे 
कृपा करो हे नाथ हमारे 

जय जय जय शिव डमरू वाले 


पवन तिवारी 
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क -7718080978

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