यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

गांगेय वन्दन

हे बुद्धि देव,हे गणनायक.
हे प्रथमपूज्य,हे सुखदायक
हे गजाननं,गांगेय प्रभू 
करते हैं तुम्हेँ नमन सादर

हे शिवनंदन,हे जगवंदन
हे शूपकर्ण,हे द्वैमातुर
हे गणनायक,गजवक्र प्रभू
 करते हैं तुम्हेँ नमन सादर

हे क्षेमकरी,हे योगाधिप
हे हरिद्र , हे विघ्नेश्वर
हे अम्बिकेय, हेरम्ब  प्रभू
करते हैं तुम्हे नमन सादर 

poetpawan50@gmail.com

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