ग़ज़ल
जिस दर पर तुम्हारा न सम्मान हो.
उस दर पर कभी जाना ना चाहिए.
रुखा-सूखा मिले यदि जो सम्मान से.
ऐसे भोजन को ठुकराना ना चाहिए.
कोई विश्वास तुम पर निछावर करे.
उसको धोका कभी देना ना चाहिए.
जिसने जग को भुलाकर है चाहा तुम्हें.
ऐसी चाहत को ठुकराना ना चाहिए.
जिन्दगी में उड़ानें उडो तुम बहुत.
पर ज़मीं को भुलाना ना चाहिए.
प्यार जितना मिले,चाहे जिसका मिले.
प्यार माँ का भुलाना ना चाहिए .
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