भारत में साहित्यकार
एक अजीब चीज होते हैं !
जब वे ज़िन्दा होते हैं
मरे मरे से होते हैं;
हाँ, मरने पर
ज़िन्दा हो जाते हैं !
और फिर महान,
और फिर देवता से –
उनके नाम पर
होते हैं पुरस्कार,
भवन, सड़कें, उन पर
लिखा जाता है बेतहाशा !
लगातार होता है शोध ,
उनके नाम पर बसते हैं नगर
जैसे- ‘निराला नगर’ !
पवन तिवारी
२६/१२/२०२१
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