मेरे घर के बाहर कल
चबूतरे
पर,
औरतों
की महफिल में
एक
घरेलू औरत ने
लोक
भाषा में
हँसते
हुए कहा-
औरत
ऐसी अनोखी
चीज
है, जिस पर !
लोग
मरते मरते
मर
जाते हैं .
और
फिर एक
सामूहिक
ठहाका
वातावरण
में व्याप्त हो गया;
एक
सहज और मोहक
सत्य
की तरह, अब तक
मेरे
कानों में गूँज रहा है
अनहद
नाद की तरह !
पवन
तिवारी
२५/१२/२०२१
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