यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

हम तेरे प्यार में

हम  तेरे  प्यार  में  मर  ही जायेंगे क्या

मर  गये  तो  बता  फिर निबाहेंगे क्या

ऐसा  कुछ होने से पहले आकर तू मिल

अपने  दिल  को  कहानी  सुनायेंगे क्या

 

यूँ  ही  होता  है या प्यार होता है क्या

सब  है  नाटक कोई दिल को खोता है

प्यार  जब  से   हुआ  बोलती  बंद  है

कोई  अंदर  ही   अंदर  रोता  है  क्या

 

प्यार  का  दर्द कड़वा या मीठा है क्या

लगता सारा नज़ारा भी फ़ीका है क्या

ऐसी  बातें  कभी  मैं  तो करता न था

प्यार  में  ज्ञान  की कोई गीता है क्या

 

किसको तड़पा के भी कोई पाता है क्या

इस तरह  ज़ुल्म  भी कोई ढाता है क्या

इससे  पहले  कि  बिगड़े  मेरा संतुलन

मिल तो ले आके मिलने से तेरा जाता है क्या

 

पवन तिवारी  

२८/१२/२०२१

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