यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 16 जुलाई 2022

ये उर युगों – युगों का मारा

ये उर युगों – युगों  का  मारा

चाहिए बस विश्वास तुम्हारा

फिर से कोई  कपट मिला तो

यम   ही  केवल  एक  सहारा

 

प्रथम दृष्टि  में  मोह से सारा

आनन  आभा  युक्त  तुम्हारा

तुम पर  न्यौछावर नरेश हों

तुम्हरे  लिए  सह  लेंगे कारा

 

पर चरित्र  लेकर संशय है

हुआ प्रेम पहले भी क्षय है

पहले भी सौन्दर्य छला है

वैसा ना हो इसका भय है

 

अब मुझको आचरण चाहिए

सत निष्ठा का चरण चाहिए

सच्चे मन का साथ मिले बस

नहिं सुंदर आवरण  चाहिए

 

पवन तिवारी

०४/०१/२०२२

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