प्रेम
का भाव जब भी उठे
मात्र
आनन तुम्हारा दिखे
कोई
पूछे कि सुंदर है क्या
नाम
केवल तुम्हारा लिखे
हूक
या पीर हिय
में उठे
याद
आती प्रथम तुम ही हो
सोचूँ
उन्नति के आयाम यदि
लगती
संभावना तुम ही हो
मित्रों
से भाव में भाव को
व्यक्त
कर देता हूँ मैं अगर
सारे
हँसते हुए कहते
हैं
तेरी
मुश्किल बहुत है डगर
तुम
मिलोगी तो सब मुश्किलें
लगता
आसान हो जायेंगी
तुम
चलोगी मेरे साथ तो
खुशियाँ
भी साथ में आएँगी
स्वप्न
मेरा ये साकार हो
बन
के सहचर जियें ज़िंदगी
साथ
में बैठकर चाय सी
चुस्कियों
में
पियें ज़िंदगी
पवन
तिवारी
०७/०१/२०२२
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