यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 16 जुलाई 2022

प्रेम का भाव जब भी उठे

प्रेम का भाव  जब भी उठे

मात्र आनन तुम्हारा दिखे

कोई पूछे कि सुंदर है क्या

नाम केवल तुम्हारा लिखे

 

हूक  या  पीर  हिय  में  उठे

याद आती प्रथम तुम ही हो

सोचूँ उन्नति के आयाम यदि

लगती संभावना  तुम ही हो

 

मित्रों  से  भाव में भाव को

व्यक्त  कर  देता हूँ मैं अगर

सारे   हँसते  हुए   कहते हैं

तेरी मुश्किल बहुत है डगर

 

तुम मिलोगी तो सब मुश्किलें

लगता  आसान   हो  जायेंगी

तुम  चलोगी  मेरे  साथ   तो

खुशियाँ भी  साथ में आएँगी

 

 

स्वप्न  मेरा  ये   साकार  हो

बन के सहचर जियें ज़िंदगी

साथ  में  बैठकर  चाय  सी

चुस्कियों  में  पियें  ज़िंदगी

 

पवन तिवारी

०७/०१/२०२२

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