यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 6 जुलाई 2022

प्रेम वृक्षों से

प्रेम अपनों से  अगर  करते हो

प्रेम वृक्षों  से   जताना   होगा

चाहते हो सभी की खुशहाली

वृक्ष  प्रतिवर्ष  लगाना  होगा

 

चाहते  खेत  लहलहाते  रहें

सरोवरों  को  बचाना होगा

इसके ख़ातिर समाज को मिलकर

कंधे से कंधा  मिलाना होगा

 

जरूरतों को समझकर हमको

हो सहज  पाँव बढ़ाना होगा

सुविधा की लत बड़ी ही घातक है

 ऐसी आदत को घटाना होगा

 

चाहिए  शांति  और  समृद्धि  तो

दिल को प्रकृति से मिलाना होगा

कर सके इसका अगर  आदर  तो

हम क्या ख़ुशहाल  ज़माना होगा

 

पवन तिवारी

१७/०१/२०२२  

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