प्रेम
अपनों से अगर करते हो
प्रेम
वृक्षों से जताना होगा
चाहते
हो सभी की खुशहाली
वृक्ष
प्रतिवर्ष लगाना होगा
चाहते
खेत लहलहाते रहें
सरोवरों
को बचाना होगा
इसके
ख़ातिर समाज को मिलकर
कंधे
से कंधा मिलाना होगा
जरूरतों
को समझकर हमको
हो
सहज पाँव बढ़ाना होगा
सुविधा
की लत बड़ी ही घातक है
ऐसी आदत को घटाना होगा
चाहिए
शांति और समृद्धि तो
दिल
को प्रकृति से मिलाना होगा
कर
सके इसका अगर आदर तो
हम
क्या ख़ुशहाल ज़माना होगा
पवन
तिवारी
१७/०१/२०२२
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