हे बादल जब तुम गाते
हो 
जल का स्वर तुम
बरसाते हो 
जग कहता उसे बरखा
रानी 
गाकर तुम खुश कर
जाते हो 
जग कल्याण हेतु तुम
गाते
ऐसा ह्रदय कहाँ से
लाते  
इस स्वारथ की दुनिया
का भी 
जल गीतों से प्यास
बुझाते 
तुम नभ धरा के सच्चे
गायक 
तुम जीवन के अच्छे
नायक 
तुम जैसे कुछ गाने
वाले 
हो जाएँ तो हो
सुखदायक 
हे नीरद तुम पावन
नीरज 
परहित का आशीष मिले
रज 
हे घन देव तुम्हें
वन्दन है 
यूं ही गाते रहें
अरज है 
पवन तिवारी 
संवाद - ७७१८०८०९७८ 
२८/०७/२०२०
 
 
 
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