यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 जून 2021

हे बादल! जब तुम गाते हो

हे बादल जब तुम गाते हो

जल का स्वर तुम बरसाते हो

जग कहता उसे बरखा रानी

गाकर तुम खुश कर जाते हो

 

जग कल्याण हेतु तुम गाते

ऐसा ह्रदय कहाँ से लाते  

इस स्वारथ की दुनिया का भी

जल गीतों से प्यास बुझाते

 

तुम नभ धरा के सच्चे गायक

तुम जीवन के अच्छे नायक

तुम जैसे कुछ गाने वाले

हो जाएँ तो हो सुखदायक

 

हे नीरद तुम पावन नीरज

परहित का आशीष मिले रज

हे घन देव तुम्हें वन्दन है

यूं ही गाते रहें अरज है

 

पवन तिवारी

संवाद - ७७१८०८०९७८

२८/०७/२०२०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें