यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 जून 2021

आशाओं तुम गीत सुनाओ

आशाओं तुम गीत सुनाओ

साहस  मेरी  बाँह बढ़ाओ

मैं हँसते हुए  बढ़ना चाहूँ

धीर ह्रदय को तुम समझाओ

 

दुःख तुम गीत ख़ुशी के गाओ

हे तनाव  तुम  भी मुस्काओ

संघर्षों  का  मान  बढ़ा  दो

उदासियों   बाँसुरी   बजाओ

 

कान मेरे बस अच्छा सुनना

आँख प्यार की भाषा गुनना

फिर मन हँसी ख़ुशी से रहेगा

पग-पग पर है जीवन चुनना

 

अभिलाषाओं नम्र बनो तुम

थोड़ा–थोड़ा दिल की सुनो तुम

मैं  जीवन  को  गाना चाहूँ

सुंदर सा  संगीत  बुनो तुम

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२८/०७/२०२०   

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