नये युग में भारत भइया
मुश्किल बचाना है
नया रंगरूट पूरा सहर
का दीवाना है
लड़के सब ब्वाय हो गये प्रेमिकाएं गर्लफ्रैंड
बाबू जी डैड हो गये भाई ब्रो एण्ड एण्ड
ऐसे में तो भारत की
झलक भी खो जायेगी
ऐसों को क्या पता जी
लोक गीत गाना है
सहर का जादू टोना गाँव
तक चला आया
गाँव के ही लौंडे
बोले सहर हमको जाना है
भारत की जड़ है देसी देसी गर लाना है
देसी आम देसी गाय को भी बचाना है
बचाना है देसी महुआ आम
का अचार भी
तभी थोड़ा–थोड़ा भारत
लौट करके आना है
संस्कृति बचाते हुए
गाते मुस्काते हुए
देसी ही ढंग से हमें
दुनिया पर छाना है
धोती बचाना होगा
अंगोछा भी लाना होगा
आँगन में गौरैया को
दाना चुगाना होगा
चमकाना दांत होगा
नीम के दातुन से
गोबर से घर में फिर
से लेपा लगाना होगा
देसी उपायों से
ही प्रकृति बच पायेगी
माटी की दियली से
दिवाली मनाना है
दादी नानी वाले
किस्से हँस के सुनाना होगा
मेला और सावन झूला
निश्चित बचाना होगा
अपनी ही संस्कृति से
अपनी पहचान है जी
देसी पहचान अपनी सबको समझाना होगा
चाँद और मंगल पाया
दुनिया में भारत छाया
अपने ही ढंग से हमें
बुद्ध शुक्र जाना है
खटिया के साथ कुआँ तुलसी भी लानी होगी
पोखर तालाब की भी
इज्ज़त बचानी होगी
फिर से सजाना होगा खेतों में खाद गोबर
हमको यदि भारत वाली
चाहिए जिंदगानी होगी
उनकी स्टाइल अपनी, है
अपना तेवर भी
हम क्या हैं अपने ढंग से जग को बताना है
हमको विज्ञान चाहिए
पर देसी मान चाहिए
असली भारत को भारत
वाला सम्मान चाहिए
हमको सामान चाहिए
अपनी जरूरत भर का
शिवरात्रि वाले हमको
फक्कड़ भगवान चाहिए
उनके विज्ञान अपने
और अनुसन्धान अपने
अपने आयु वेद से भी उनको मिलाना
है
अंग्रेज वाली इसे इंडिया बनाओ ना
उन्नति के नाम पर जी
विकृति ले आओ ना
भ्रष्ट बनाओ नहीं भारत की
संस्कृति को
आओ जी भारत वालों गाँव को बचाओ ना
उनका अनुसरण करके
कीमत चुकाई है
स्वच्छन्दता वाली
हमे संस्कृति न लाना है
शिक्षा का माध्यम अपनी भाषा
बनाना है
रोजगार भी भारत की भाषा में पाना
है
भाषा बचेगी तो ही भारत बचेगा
हर देशवासी
को
ये सच बताना है
मुश्किल है फिर भी
हमको भारत बचाना है
असली भारत है
देसी, देसी ने ठाना
है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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