सामान जो लेना तो दो चार देखना
दुश्मन कसम भी खाए तो कई बार देखना
विश्वास जिनमें था वही फैला रहे हैं भ्रम
उल्लू भी बना सकता समाचार देखना
दंगे फसाद घूस औ व्यभिचार की खबरें
अच्छा नहीं सबेरे अब अखबार देखना
इकरार पर ही ऐतबार कर नहीं लेना
आखों में झाँक करके उसका प्यार देखना
उम्र भर दोस्ती चलती है बहुत कम
यारी में कभी भी न कारोबार देखना
इजहार से फक्त ही नहीं बनती बात है
अंदाज देख पहले फिर इज़हार देखना
बनती हुई भी बात बिगड़ जाती है पवन
कहने से पहले उसका किरदार देखना
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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