यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

उसने हरकत की

उसने हरकत की मैंने जो देखा नहीं
उसने भी ऐसे में खुद को टोका नहीं

जिन्दगी देसी  वाली  जिलेबी सी है
ये अलग  बात है  हमने सोचा नहीं

देखते  ही हमें  वे गले  मिलते  हैं
और पीछे कहें क्यों ये मरता  नहीं

नाज़  नखरे  मैं उनके उठाता नहीं
मैं फ़क्त इसलिए उनको भाता नहीं

उनके भी दोस्त अपने हुए दोस्त जो
नाम  उनको ‘पवन’ का सुहाता नहीं



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८   

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