यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

चलो चलते रहो चलते रहो


चलो  चलते  रहो  चलते   रहो
गिरो गिर गिर के फिर उठते रहो
ये गिरना उठना ही तो जिन्दगी है
जिन्दगी   में  सदा  बढ़ते  रहो

अड़चने    आयेंगी   लड़ते  रहो
कभी-कभी खुद से भी भिड़ते रहो
बड़ा जब लक्ष्य पाना हो तुम्हें तो
सको ना उठ  तो  सरकते  रहो

कि त्यागेंगे जिन्हें अपना कहोगे
पराजय  होगी  धारा संग बहोगे
डगर तुमको अलग चुननी पड़ेगी
और  मजबूत  होगे  जो सहोगे

हंसेंगे लोग जो तुम  सच कहोगे
मगर उस पर भी जो बढ़ते रहोगे
मिलेगा लक्ष्य अप्रतिम गर्व होगा
तुम्हारी  ही दिशा  में सब बहेंगे  



पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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