चलो चलते रहो चलते रहो
गिरो गिर गिर के फिर उठते रहो
ये गिरना उठना ही तो जिन्दगी है
जिन्दगी में सदा
बढ़ते रहो
अड़चने आयेंगी लड़ते रहो
कभी-कभी खुद से भी भिड़ते रहो
बड़ा जब लक्ष्य पाना हो तुम्हें तो
सको ना उठ तो सरकते रहो
कि त्यागेंगे जिन्हें अपना कहोगे
पराजय होगी धारा संग बहोगे
डगर तुमको अलग चुननी पड़ेगी
और मजबूत होगे जो
सहोगे
हंसेंगे लोग जो तुम सच कहोगे
मगर उस पर भी जो बढ़ते रहोगे
मिलेगा लक्ष्य अप्रतिम गर्व होगा
तुम्हारी ही दिशा में सब बहेंगे
पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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