यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

पवन तिवारी को ‘भारती साहित्य युवा सम्मान 2019’



मुंबई, साहित्यिक एवं सामाजिक क्षेत्र की ४५ वर्ष पुरानी संस्था भाषा प्रसार परिषद २१ सितम्बर २०१९ की शाम को बांद्रा [प.] के स्पाटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया के सभागृह में युवा साहित्यकार, पत्रकार, कवि, चिंतक पवन तिवारी को एक भव्य समारोह में वर्ष 2019 का "भारती साहित्य युवा पुरस्कार" वरिष्ठ गीतकार,कवि पंडित किरण मिश्र के हाथों प्रदान किया गया। इस अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया. ज्ञात हो कि हिन्दी साहित्य की तमाम विधाओं में लिखने वाले पवन तिवारी  न केवल एक समर्थ लेखक हैं बल्कि एक कुशल वक्ता, मंच संचालक एवं चिंतक भी हैं. अपने पीला कहानी संग्रह ‘चवन्नी का मेला’ से चर्चित एवं ‘अठन्नी वाले बाबूजी’ के लिए महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का जैनेन्द्र पुरकार प्राप्त करने वाले पवन तिवारी को साहित्य रत्न, साहित्य भूषण, अमृतादित्य साहित्य गौरव, साहित्य दिवाकर जैसे अनेकों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.उत्तर प्रदेश स्थित अम्बेडकर नगर जनपद के अलाउद्दीनपुर गाँव के एक मामूली किसान परिवार में जन्मे पवन तिवारी अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने माता-पिता के आशीष, मित्रों की शुभकामनाओं एवं अपनी जीवन संगिनी को देते हैं.


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