कितनों को कहते जो आबाद किया है
मगर खुद को खुद ही हलाक
किया है
तोहमत लगाने से बदलता न सच है
कितनो ने खुद को ही नाशाद किया है
प्यार में वही
बंजारा अक्सर हुए हैं
जिन्होने ना जाहिर ज़ज्बात किया है
जिनको निठल्ला सदा
समझा है जग ने
कभी – कभी उन ने करामात किया है
दुश्मन ने क्या किया
बहुत कम किया है
अधिक अपनी जिद
ने बर्बाद किया है
उलझा भी है तो फक्त
उलझने की खातिर
नतीजे में बेबात बात किया है
बुरा होके भी
बच गया वो पवन कि
सब कुछ तो
अपनों के साथ किया है
पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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