यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 8 जुलाई 2019

पास उनको नहीं बुलाना है


पास  उनको  नहीं  बुलाना है
प्यार फिर भी मगर जताना है
सोचता   हूँ   करूँ  कैसे  मैं
लगता है आँखों से निभाना है

घर पे उनके तो आना  जाना है
बिन कहे  उनका प्यार पाना है
नेह  का अस्त्र  विनम्रता लेकर
अपना  कुछ इस तरह बनाना है

प्रेम  में  मौन  प्यारी  भाषा है
और  विश्वास  ऊँची  आशा  है
चाहना  चाह  किन्तु  ना रखना
वरना  होती  बड़ी   निराशा  है

प्यार नाजुक कि जैसे धड़कन है
जरा  सी  चोट से भी तड़पन है
प्रेम  पर  हो गये समर्पित यदि
फिर तो जीवन ही सारा उपवन है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटाबेस.भारत

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