यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

मैं रेत तू नदी है


मैं    रेत    तू    नदी     है
मैं   लम्हा   तू   सदी   है
तुझे खुद से ज्यादा चाहूँ
नेकी   है    या    बदी   है

मैं    तार     तू   सितार
नाचीज़   मैं  तू    प्यार
तुझे  नाम   दूँ मैं क्या
तुझे इश्क कहूँ या यार

मैं   काँटा    तू    गुलाब
तू  सबके लिए   शबाब
तुझमें है जिन्दगी मेरी
मैं  कीच    तू है  आब

मैं  छत  हूँ   तू   दीवार
मैं    बेचैनी    तू  क़रार
मेरी  हस्ती  भी  बने 
जो कर  ले  अंगीकार 

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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