यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 15 जुलाई 2019

उस गली से वो


उस गली से वो क्या जाने आने लगे
बेसुरे भी गली  के  गुनगुनाने  लगे

आया दुःख तो हुनर कुछ ऐसा दिया
रोते - रोते ही हम ग़ज़ल गाने लगे  

आखिर  ऐसा  हुनर  भूख देकर गयी
अपने गम से ही खुद हम कमाने लगे

क्या  कहूँ  अपनी ही शर्म के बारे में  
खुद से खुद मिलने में ही जमाने लगे

अपनी अदा, हुनर के बारे में क्या कहूँ
कितने ही  बिन बुलाये चले आने लगे

साहब नहीं रहा बस इतना ही सुन के
दोस्त  भी  चुपचाप उठ के जाने लगे

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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