यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

प्यार में दिल से बड़े


प्यार में दिल से बड़े लाड से खिलाती है
आती जब अपने पे है तो बड़ा रुलाती है

जब भी  वो मिलती है बोलते शरमाती है
मगर जब होश में आती है सब बताती है

मौत  शातिर है  आती है  हर बार मगर
आगे रखता हूँ ग़ज़ल और उलझ जाती है

उसकी जिद नखरे और गुस्सा उसका एक तरफ
मगर खुश होने पर खुद की हँसी उड़ाती है

हमीं सही हैं जी जुमले के इस जमाने में
वही है एक जो खुद को सजा  सुनाती है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  

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