आती जब अपने पे है
तो बड़ा रुलाती है
जब भी वो मिलती है बोलते शरमाती है
मगर जब होश में आती
है सब बताती है
मौत शातिर है आती है हर बार मगर
आगे रखता हूँ ग़ज़ल और
उलझ जाती है
उसकी जिद नखरे और
गुस्सा उसका एक तरफ
मगर खुश होने पर खुद
की हँसी उड़ाती है
हमीं सही हैं जी
जुमले के इस जमाने में
वही है एक जो खुद को
सजा सुनाती है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें