मेरे नैना तुझे निहारें
चिकनी मिट्टी बाल सँवारें
दिया जलाने राम घाट
पर
सरयू के पावन सिरहानें
पग - पग बोलें नूपुर
तेरे
फूटे धार हिया में मेरे
पल्लू को दांतों में
दबाकर
चली नहाने भोर -
सवेरे
मोल भाव करती मेले
में
दिखती कभी चाट ठेले
में
सर ढक करके छुप-छुप
जाती
घाट पर भीड़ भरे रेले
में
मुँह ढक करके तेरा
खाना
दबी जुबान में गाली
गाना
दुर्गा जी मंदिर में
अक्सर
आरती में पीछे से आना
आधे गाल से तेरा हँसना
उंगली फोड़ के ताने
कसना
याद तेरी हर एक अदा है
चोटी लहरा करके डसना
किसी ने गाँव की बात
चलायी
सबसे पहले तू
याद आयी
कब का बिछड़ा गाँव से
अपने
पर अब तक तू हिय में
समायी
फिर से सरयू घाट नहाऊँ
चाहूँ तेरा दर्शन पाऊँ
सोच रहा हूँ तुझसे
मिलने
फिर से राम घाट पर
आऊँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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