यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 4 मई 2019

मेरे नैना तुझे निहारें


मेरे   नैना  तुझे  निहारें
चिकनी  मिट्टी बाल सँवारें
दिया जलाने राम घाट पर
सरयू के  पावन सिरहानें

पग - पग बोलें नूपुर तेरे
फूटे  धार  हिया में मेरे
पल्लू को दांतों में दबाकर
चली नहाने भोर - सवेरे

मोल भाव करती मेले में
दिखती कभी चाट ठेले में
सर ढक करके छुप-छुप जाती
घाट पर भीड़ भरे रेले में  

मुँह ढक करके तेरा खाना
दबी जुबान में गाली गाना
दुर्गा जी मंदिर में अक्सर
आरती  में पीछे से आना

आधे  गाल से तेरा हँसना
उंगली फोड़ के ताने कसना
याद  तेरी हर एक अदा है
चोटी  लहरा करके डसना

किसी ने गाँव की बात चलायी
सबसे  पहले  तू  याद  आयी
कब का बिछड़ा गाँव से अपने
पर अब तक तू हिय में समायी


फिर से  सरयू घाट नहाऊँ
चाहूँ   तेरा   दर्शन  पाऊँ
सोच रहा हूँ तुझसे मिलने
फिर से राम घाट पर आऊँ


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


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