यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 17 मई 2019

अच्छा हुआ


अच्छा हुआ उदासियों वाले उधर गये
कुछ लोग दुश्मनों में जाकर निखर गये

रिश्ता नहीं रखना वो कई बार थे कहे
जो मान मैं गया तो उस पर बिफर गये

रिश्ते बनाये थे जिन्होने सोच समझकर
जब दिल की बात आयी तो छन से बिखर गये

जो दोस्त बने थे फ़कत सावन को देखकर
पतझड़ की भनक लगते ही जाने किधर गये

भारत के लिए कल वो जो गुमनाम दो मरे
लगता है कि जैसे मेरे लखते जिगर गये

कुचला गया सड़क पर तिरंगा लिये जो कल
अपने ही लगा माँ की इज्जत निगल गये



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com



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