सुपथ पर चला था
आवश्यकताओं के ढकेल
दिया
पथ पर
कुछ ही दिन तक
चल सका था
धकेले हुए पथ पर
कि एक दिन नीची खाईं
में
सुंदर चमकती हुई लालच
दिखी
एक क्षण के लिए नयन
उस पर ठहरे ही थे
कि झांवर आ गयी और
सीधा उस खाईं में जा
गिरे
लालच के बगल में एक टीला
था
उस पर लिखा था
कुपथ में आप का
हार्दिक स्वागत है
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
अणुडाक- poetpawan50@gmail.com
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