तुम आओ तो साथ बने
तुम आओ तो बात बने
दिन तो कैसे गुज़र है
जाता
तुम आओ तो रात बने
बिगड़ा सारा काम बने
थोड़ा ही सही नाम बने
साहस आ जाता है तुम
संग
जीवन पथ तमाम बने
प्रेम संजीवनी प्रेम
है अमृत
पंचामृत में तो है
ये घृत
प्रेम सिखाये जीने
का ढंग
प्रेम बिना नाम का
जीवित
इसीलिये मैं तुम संग
आऊँ
चाहूँ प्रेम तुम्हारा पाऊँ
मिल जाए जो प्रेम
तुम्हारा
तो मैं धन्य–धन्य हो
जाऊँ
ये अभिलाषा पूरी कर दो
या स्वप्नों से दूरी कर दो
या फिर प्रणय दान दे
दो मुझे
या मुझको तुम मृत्यु
का वर दो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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