दिल से निकली बात और
गर होती है तो हो जाने दो 
जो भी हो फिर प्रेम ,
अदावत होती है तो हो जाने दो 
मुँह की देखा - देखी
मुझसे बात कभी भी ना होती
कहूँगा  सच्ची बात
बगावत होती है तो हो जाने दो
कहने को सब के सब
सच्चे,पर ये सच्ची बात नहीं 
मजबूरी में थोड़ी  मिलावट होती है तो हो जाने दो 
ढोल का पोल बनाते सब
ही कोई थोड़ा कोई ज्यादा है 
सच्ची चीज पे थोड़ी
सजावट  होती है तो हो जाने दो 
खूबसूरत और जवाँ हैं
अक्सर हँसकर मिलते-जुलते हैं
ऐसे में दिल धड़क
मोहब्बत  होती  है तो हो जाने दो  
अच्छा बुरा हुआ जो
भोगा , आया नहीं तुम्हारे पास 
अब थोड़ी जो हुई है
अज़मत होती है तो हो जाने दो
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
 
 
 
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