यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 16 जनवरी 2018

दिल से निकली बात

दिल से निकली बात और गर होती है तो हो जाने दो
जो भी हो फिर प्रेम , अदावत होती है तो हो जाने दो

मुँह की देखा - देखी मुझसे बात कभी भी ना होती
कहूँगा  सच्ची बात बगावत होती है तो हो जाने दो

कहने को सब के सब सच्चे,पर ये सच्ची बात नहीं
मजबूरी में थोड़ी  मिलावट होती है तो हो जाने दो

ढोल का पोल बनाते सब ही कोई थोड़ा कोई ज्यादा है
सच्ची चीज पे थोड़ी सजावट  होती है तो हो जाने दो

खूबसूरत और जवाँ हैं अक्सर हँसकर मिलते-जुलते हैं
ऐसे में दिल धड़क मोहब्बत  होती  है तो हो जाने दो 

अच्छा बुरा हुआ जो भोगा , आया नहीं तुम्हारे पास
अब थोड़ी जो हुई है अज़मत होती है तो हो जाने दो


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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