वक़्त ने की बड़ी
गुस्ताखियां कुछ मुझको करनी है
भरेंगे जो भी हो
जुर्माना अब तो दिल की करनी है
बस कुछ दिनों के ही
लिए अब लौट आ ऐ दुःख
मुझे कुछ दोस्तों की
आजमाइश फिर से करनी है
बहुत खुशियों से इश्क
करना था मैं कर न पाया था
फ़कत अब एक चाहत गैर
दिल में खुशियाँ भरनी है
मेरे बचपन को खाया
इस कदर कुछ यूँ गरीबी ने
जवानी भी नहीं उबरी
न चाहें जो वो करनी है
भीड़ से चेहरे लोगों
के कि अब पहचानना मुश्किल
कि किसके पाँव पड़ना
है औ किसकी बाँह धरनी है
नफरतों के दुपट्टे
पर तुम करो प्यार के छींटे
भीग के शर्म से वो
देखना तुमसे लिपटनी है
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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