यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 14 जनवरी 2018

देखने वाले देखते रह जायेंगे

देखने वाले  देखते रह जायेंगे
करने वाले करके गुजर जायेंगे

छोटी उम्र नाम की मोहताज़ नहीं
लम्बी  उम्र लेके  भी मर जायेंगे

यूँ ही गुज़री जिंदगी तो क्या बनेंगे
जिन्दगी से लड़कर निखर  जायेंगे

यूं ही मिला मौका तो बिगड़ जायेंगे
कौन  जाने क्या पता सँवर जायेंगे

बात  करो  बात से बात  बनती है
जरूरी नहीं हर बात पे बिफर जायेंगे

दोस्ती में जो भी कहो तो सच कहो
ऐसा तो नहीं गुस्सा होंगे मर जायेंगे

यही हाल रहा तो देखना जल्दी
लोग नहीं गाँव ही शहर जायेंगे

इस तरह रौंदेंगे क़ुदरत को जो
गाँव  नहीं  पहले नगर जायेंगे

जंगलों को काट के क्या बच पायेंगे
हम  भी  जायेंगे गर शज़र जायेंगे

मगरूरियत अच्छी नहीं अच्छे दिनों में भी
अच्छे  दिन  भी  देखना  गुज़र  जायेंगे



पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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