यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 20 दिसंबर 2017

लोग कहते हैं अब गुस्सा नहीं होते हैं हम


























लोग कहते हैं अब गुस्सा नहीं होते हैं हम
अब मेरी औलादें हैं पहले वाले नहीं हैं हम

पीठ पर हरदम लदी रहती थी ज्यों खुद्दारियाँ
अब लदे रहते हैं बच्चे खुद्दार नहीं हैं हम

वो जमाना और था जब हम हमी हम थे
अब तो बेबस बाप हैं अब हम नहीं हैं हम

दे सकते थे उसकी गुस्ताखी का जवाब
मगर फिर वो हो जाते जो नहीं हैं हम

अब मेरे दरवाज़े पर आते नहीं मशहूर लोग
सत्ता अपनी हैं मगर सरकार नहीं है हम  

जो दोस्त कहते थे मगर अब दूर जो हुए
बात इतनी निकली कि अमीर नहीं हैं हम

पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com

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