यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 17 दिसंबर 2017

बड़ा फरेब की, वादों में भी भरमायी दुनिया


बड़ा फरेब की, वादों में भी भरमायी  दुनिया

मगर इन हरकतों ने ही सही दिखायी दुनिया
  
समझ  आयी  मुझे  इक  उम्र से पहले  दुनिया
खता यही थी बस मुझको न समझ पायी दुनिया

जो  भी  कहता  हूँ  बड़बोला  उसे  लगता  है
उम्र है कम मेरी बस इतना समझ पायी दुनिया

मगर जब उम्र से पहले बुलंदी पर हुआ दाखिल
होके  मजबूर  मेरे  हुनर  पर  आयी  दुनिया

किसी भी और खित्ते में नजरिया तंग ना इतना
मगर  अदबी – अदीबों पर करे  बेहयाई  दुनिया

बहुत सी ठोकरें , जिल्लत, कसा है तंज दुनिया ने
सलामत रहे सदा इन्होंने ही मेरी चमकायी दुनिया

जो  देखकर  भी  देखना ना  चाहते  हुनर
वक्त ने ही ऐसे को ‘पवन’ समझायी दुनिया

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com



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