जाने किस बात से आती
उसे हँसी होगी
ज़ख्म गहरा होगा
जिसमें वो धँसी होगी
जिसमें न कोई
खुशियाँ रंगत न कोई हो
ऐसी भी जिन्दगी क्या
कोई जिन्दगी होगी
दर्द दिल का उछलकर
चेहरे पर चढ़ ही जाता है
फिर न क्यों शक्ल
कोई कितनी ही रँगी होगी
कितनी मज़बूर होकर वो
उधर गयी होगी
बहुत तड़पी होगी जब
जाल में फँसी होगी
बदजुबानी वो कभी
सहती नहीं किसकी
किसी एहसान की वो
डोर से बंधी होगी
जरूरी नहीं जो खिला
है पुष्प ही होगा
क्या पता वो खियाबाँ
हो जो ढँकी होगी
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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