प्यार
चाहें सभी पर निभाना नहीं
पूछिये
सच तो सब हवस का खेल है
प्यार
से तो कोई देखता ही नहीं
आरजू
सबकी नज़रों में हासिल की है
खुद को
कोई लुटाना नहीं चाहता
प्यार
की आड़ में और कुछ चाहता
जुबाँ
बोले है कुछ और दिल में है कुछ
ऐसों का
क्या भरोसा कि क्या चाहता
प्यार
विश्वास की नाज़ुक डोर है
प्यार
के नाम पर ही बड़ा शोर है
प्यार
तो शान्ति एकांत के मोड़ हैं
गंगा
यमुना के ये पावन छोर हैं
पवन
तिवारी
सम्पर्क
– 7718080978
Poetpawan50@gmail.com
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