यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 22 मार्च 2017

वर्षों पहले तुमको देखा,याद रही तुम सालों तक



















वर्षों पहले तुमको देखा,याद रही तुम सालों तक

ख्वाब में तुमसे मिलना चाहा,वो भी न आया सालों तक

तुमको खोजा कम्प्यूटर में,मेला और सिनेमा में

एक झलक भी कहीं दिखी नहीं और गुजर गये सालों तक

जाने कितने किस्से भूले,जाने कितने अपने बिछड़े

एक तुम्हारा ही चेहरा बस चमक रहा है सालों तक

अब तो गई जवानी, चाहत गई नहीं

 तुम में क्या था, चाहत गई न सालों तक

ढल तो तुम भी गई होगी,पर दिल नहीं मानता है

पहला प्यार भूलता है कोई,कभी नहीं, सालों तक

नाती-नतिनी मेरी कहानी, एक नहीं कई बार सुने

कई साल से सुना रहा हूँ, और सुनेंगे सालों तक
  
पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com

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