यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 21 मार्च 2017

बाप होंगे

नज़्म


दिल्लगी उनसे वो कोई प्रेमिका नहीं
वे मेरे बाप हैं दूसरे नहीं होंगे
उनसे बदजुबानी ये बात ठीक नहीं
कुछ भी हो बाप तो बाप होंगे
तुम्हें डाँटा,तुम्हे झिड़का,अच्छा किया
बाप हैं तुम्हारी हिफ़ाजत के लिए किये होंगे
जिन्होंने तुम्हें सवांरने में जिन्दगी खपा दी
उन्हें नसीहत देते हो,चुचाप सुनते हैं,बाप होंगे
पुश्तैनी मकान तक बेंच दिया तुम्हारे ख्वाबों के लिए
तुम विदेश में,वे पार्क में चिड़ियों से बातें करते हैं,बाप होंगे
तुम परदेश में महँगी गाड़ियों में घूमते हो,
वे किराए के मकान में,बाप होंगे
जिन्होंने लड़ना सिखाया उन्हीं से लड़ के गए
सबने कहा अच्छा नहीं किया उसने  
उन्होंने कहा- बच्चा है गुस्से में था
ऐसा कौन कहता है बाप होंगे

पवन तिवारी        
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com 

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