तुम जो एक रात एक दिन रोज गुजार देते हो, वह मैं ही तो हूं.
तुम्हारे धड़कते हुए हृदय में मैं ही तो हूं.
मैं तो गुजरने के लिए ही हूं.
पर कुछ कर गुजारो तो और बात है.
मेरा आना हुआ है,तो जाना भी होगा.
पर इस आने-जाने के बीच,जो कुछ कर जाओगे,
वही मेरी पहचान के रुप में जानी जाएगी.
मेरी अपनी कोई चाहत नहीं.
तुम्हारी चाहत ही मेरी चाहत है.
मैं तुम्हारे हर फैसले में तुम्हारे साथ हूं.
मैं ही तो एक हूँ, जिसकी कोई मर्जी नहीं.
तुम्हारी मनमानियों में भी तुम्हारे साथ हूं.
बस मैं इतनी आशा रखती हूं, कुछ कर गुजरते रहो.
बस मैं रोज एक-एक पल के साथ खर्च होती हूं.
कई लोग मुझे अपने घर बुलाना चाहते हैं.
जबकि मैं सदा उनके साथ रहती हूँ.
जब लोग खुश रहते हैं,
तभी वह महसूस करते हैं,कि मैं उनके साथ हूँ.
ये अलग बात है, कि हर पल साथ हूँ.
मैं रोज तुम्हारे साथ बीतती हूं, खर्च होती हूँ,
तुम्हारा हंसना-रोना चुगली करना,जलाना,
खुशियां मनाना, क्रोध करना, झगड़ा करना,
सोना-जागना, उत्सव मनाना, पूजा करना,
प्रेम करना, पाप करना, सफल और असफल होना
सब में मैं सदा तुम्हारे साथ,एक-एक पल जीती हूँ.
ये अलग बात है कि,
जब तुम हँसते हो, पुण्य करते हो, खुशियां बांटते हो,
तब मैं कुछ दिन तुम्हारे साथ और गुजारना चाहती हूँ.
मैं गुजरने के लिए ही तो आई हूँ.
पर अगर हँसी के साथ गुजरूँ, फूल की तरह महकूँ,
झरने की तरह कल-कल करते आगे बढूँ,
बसंत की तरह लहराके बहूँ, सफलता के साथ घूमूँ,
सुविधाओं के साथ दौडूँ,यौवन के साथ टहलूं ,
सौंदर्य के साथ बातें करूँ,प्रशंसा के साथ बतियांऊँ
और हुजूम के साथ आगे बढूँ,
तब जाकर तुम मुझे, एक नाम देते हो जिंदगी....
क्या जिंदगी है?पर अगर तुम नाम नहीं भी देते हो
तो भी तो मैं हूँ, जब तक तुम हो, मैं भी हूँ.
मैं तुम और तुम मैं हूँ, तुम्हारा जीना ही तो मैं हूँ.
''मैं जिंदगी हूँ'' बस, मैं सदा थोड़े ही रहूंगी, बस आखरी सांस तक का वादा है.
तुम जैसे गुजारोगे गुजर जाऊँगी.
ईमेल - पवनतिवारी@डाटामेल.कॉम
poetpawan502gmail.com
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